ओपीडी में उपचार करवाने आए हुए मरीज उल्टे पांव लौट रहे
बीजापुर । सावधान बीजापुर जिला अस्पताल में उपचार केलिए आना हैं तो खुद के भरोसे आइये क्योंकि यहाँ ओपीडी में डॉक्टर मिलते हैं ना ही दवाइयाँ उपलब्ध हैं।
बीजापुर जिले के नागरिको को उपचार के लिए मोहताज होना पड़ रहा हैं जहां मौजूद शासकीय जिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर दीपावली छुट्टी से नहीं लौटे हैं यही वजह हैं कि अबतक ओपीडी में ताला लगा नज़र आ रहा हैं ऐसे में दूर दराज से इलाज करवाने आए हुए मरीजों को उल्टे पांव वापस लौटने की मज़बूरी बन गईं हैं। आखिर अस्पताल में फ़ैली ऐसी अव्यवस्थाओं का जिम्मेदार किसे ठहराया जाए?
बीजापुर जिला अस्पताल में इलाज कराने आये हुए एक मरीज से पूछने पर बताया की पिछले तीन दिनों से कान में दर्द हैं और लगातार अस्पताल के चक्कर काट रहा हूं मौजूद स्टाफ आपातकालीन में जाकर इलाज कराने की बात कहते हैं वहां जाने पर मौजूद डॉक्टर नाक कान का जो इलाज करते हैं ( ई एन टी ) वाले डॉक्टर को दिखाने की बात कह कर चलता कर देते हैं। दर्द से राहत पाने दर्द निवारक दवा (ड्राफ) लेने दवाई वाले काउंटर पर जाने पर दवा नहीं होने की बात कही जा रही है। इसके अलावा दर्ज भर से अधिक मरीजों की भी ऐसी ही शिकायतें थी।
गौरतलब हैं कि बीजापुर जिला प्रदेश के अंतिम छोर पर मौजूद हैं और अन्य शहरों की तुलना में निजी एवं शासकीय अस्पताले नहीं होने के कारण नागरिकों को केवल एक ही जिला अस्पताल से ही उपचार की आस रहती है लेकिन मरीजों के इस आस में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरी तरह पानी फेर रहे हैं जो केवल एयर कंडीशन कक्ष में बैठकर कागजों में उपचार की व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं।
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अस्पताल में उपचार की अवस्थाओं का तब पता चलेगा जब आलाधिकारी अचानक निरीक्षण पर पहुंचेंगे, मगर आलम यह है कि जिला कलेक्टर ने जब भी निरीक्षण किया अपनी आने की खबर पहले ही सिविल सर्जन एवं सीएमएचओ को दे देते हैं इसका नतीजा यह होता है कि शातिर अफसर पहले ही खामियों पर पर्दा डालकर ईमानदारी का चोला ओढ़ लेते हैं वही कलेक्टर भी औपचारिक निरीक्षण कर जिम्मेदारियां से फ्री हो जाते हैं। अगर इसी तरह जिम्मेदार अफसर अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे तो स्वास्थ्य विभाग के अफसर एवं अव्यवस्थाएं कभी नहीं सुधरेगी।___________________________________________