भोपालपटनम।”जिन आँगनबाड़ी केन्द्रों पर नौनिहालों का भविष्य रोपने और उसे सींचकर स्वस्थ पौधा बनाने की जिम्मेदारी है,वे स्वयं ही अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहे हैं।ऐसे में उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है?” यह कहना है,ज़िला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी का।
बीजापुर ज़िले के आँगनबाड़ी केन्द्रों की अव्यवस्थाओं के बारे में मीडिया में लगातार आ रही ख़बरों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए ताटी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले भर में संचालित आँगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति शहर से लेकर गाँव तक लगभग एक जैसी है।ये ख़बरें हमें सोचने पर बाध्य करती हैं कि जीवन के पहले ही पायदान पर उपेक्षा के शिकार नौनिहाल लड़खड़ाते कदमों से अपना और देश का सुनहरा भविष्य कैसे गढ़ेंगे?
ताटी ने आँगनबाड़ी केन्द्रों की दयनीय स्थिति पर रोशनी डालते हुए बताया कि कहीं भवन अत्यंत जर्जर हैं तो कही भवनों का अभाव बना हुआ है।जहाँ भवन बने हैं, उनमें पर्याप्त सुविधाओं की कमी है।आँगनबाड़ी केन्द्रों के हालत इस कदर ख़राब है कि कही बिजली है तो पंखा नहीं है और कहीं पंखा है तो बिजली नहीं है।और तो और अधिकांश आँगनबाड़ी केंद्रों में पानी न होने के बावजूद शोपीस की तरह नल की टोंटियाँ लगी हुई हैं।बच्चों को खेलने के लिये झूले और फिसलपट्टी तो दूर की बात,इन केन्द्रों में उनको खिलौने भी नसीब नहीं हैं।
ज़िला पंचायत सदस्य ने इस जनजाति बाहुल्य ज़िले में माताओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और देखभाल से जुड़े इन महत्वपूर्ण केन्द्रों की दुर्व्यवस्था पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को मनोरंजन के साधनों की उपलब्धता को नज़रअंदाज़ भी कर दिया जाये तब भी ज़रूरी व्यवस्थाओं की बात तो करनी ही पड़ेगी। अधिकांश आँगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय नहीं हैं। कहीं शौचालय बना भी है तो वह उपयोग के लायक नहीं है।ऐसी परिस्थिति में माताओं और शिशुओं के लिये पौष्टिक आहार की कल्पना भी बेमानी ही होगी।