ज़ख्म भर जाएगा किंतु निशान बाक़ी रहेगा,पत्रकार समाज का आइना होता है मगर सिस्टम में जुड़े भ्रष्ट लोग आईना देखने के काबिल नहीं छोड़ा

{मो.अमजद रज़ा खान / सम्पादकीय

हमारी खामोशी ही हमारा काल ना बन जाए

बीजापुर। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या के बाद आक्रोश का जो ज्वाला प्रदेश के पत्रकार बिरादरी में फूटा है वह न्याय मिलते तक बरकरार रहेगा या फिर ठंडा पड जाएगा य़ह बड़ा सवाल है. वक़्त के साथ यह प्रहार का ज़ख्म भर जरूर जाएगा किंतु निशान बाक़ी रहेगा,ऐसा निशां जो दिल पर लगे गहरे ज़ख्म को भी हरा रखेगा, हर बार सच पर झूठ हावी रहा है औऱ सच को पैरों तले रौंदकर चिढ़ाता रहा है बेशक़ पत्रकार समाज का आइना होता है मगर सिस्टम में जुड़े भ्रष्ट लोग आईना देखने के काबिल भी नहीं छोड़ा, आखिर सुरेश चंद्राकर जैसे अपराधी तत्व को किसने पनाह दी,किनके बलबूते पर पनप गया,मुकेश के द्वारा सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का उजागर किये जाने के बाद तत्काल प्रशासनिक तौर पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई, अगर किया होता तो शायद मुकेश हमारे बीच होता .और विडंबना देखिए कि राजनैतिक दल के नेताओं में इस कांड से परे “उसकी साड़ी से मेरी साड़ी उजली “बताने के लिए प्रतिस्पर्धा चल रही है जबकि यह सामान्य सी बात है कि अपना धंधा बचाने के लिए कोई भी ठेकेदार, व्यापारी “जिसकी सरकार,उसके हम ” की तर्ज़ पर पाला बदल लेते है और पैसे के बल पर सारे सिस्टम को अपने पक्ष में कर लेते हैं. सुरेश चंद्राकर ने यही सब किया. एक बात और कि सुरेश चंद्राकर के हत्या में एक्सपोज हो जाने के बाद जीएसटी विभाग के अधिकारियों की नींद खुली है. वे सुरेश चंद्राकर की जैसे गिरफ्तारी का इंतजार कर रहे थे और गिरफ्तारी के बाद तत्काल 2 करोड़ की टेक्स चोरी का असेसमेंट निकाल दिया. कायदे से इन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए अन्यथा यही माना जाएगा कि इन अधिकारियों की मिली भगत और संरक्षण में सुरेश चंद्राकर कर चोरी कर रहा था .उसकी गिरफ्तारी के बाद लोक निर्माण विभाग की सक्रियता भी ग़ज़ब की है. तत्काल लाइसेंस रद्द कर दिया गया. क्या विभाग के अधिकारियों को ठेकेदार के धत करम की जानकारी नहीं थी या फिर उसके काले पीले गोरखधंधा में सारे अधिकारी शामिल रहे है और अब कार्रवाई करना मजबूरी हो गई है।

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की जिस बर्बरता पूर्वक हत्या हुई है यह मानव जाति, समाज को शर्मसार कर दिया है, सिर पर 15 फैक्चर, लिवर के चार टुकड़े और दिल फटजाना, यह सुनकर सुनने वाले का भी कलेजा मुँह को आ जाता है,बड़ा प्रश्न कि क्या समाज के लिए आवाज बुलंद करना भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बोलना गुनाह है?पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सत्ता में बैठी हर सरकार केवल आश्वासनों का झुन-झुना देकर खामोश हो जाती है औऱ सुरेश जैसे भ्रष्ट अपराधी तत्व के लोगों को अपनी पनाह में रखती है। ऐसे लोग आगे चलकर समाज के लिए अभिशाप बन जाते हैं। जो धन और बाहुबल के बल पर सच को दबाने की नहीं बल्कि अब पूरी तरह सच की स्याही को जड़ से मिटाने की पुरजोर कोशिश में है। जिसका एक भयावह परिणाम का दंश चौथे स्तंभ के सीने में कील के रूप में ठोक दिया गया।

क्या सुरेश चंद्राकर को कड़ी सजा देने पर ही मुकेश की हत्या का दर्द, हमारी पीड़ा को शांत कर पायेगा? शायद नहीं,बल्कि हमें ऐसा कार्य करने की आवश्यकता है जिससे सुरेश चंद्राकर जैसे औऱ भी भ्रष्ट ठेकेदार हिमाकत ना कर पाए कि वह पत्रकारों की सच के कलम को तोड़े, अन्य था हमारी खामोशी ही हमारा काल ना बन जाए। राजनैतिक दलों के लिए भी प्रश्न कि क्या वे किसी ठेकेदार को अपनी पार्टी में शामिल करने से परहेज करेंगे?

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One thought on “ज़ख्म भर जाएगा किंतु निशान बाक़ी रहेगा,पत्रकार समाज का आइना होता है मगर सिस्टम में जुड़े भ्रष्ट लोग आईना देखने के काबिल नहीं छोड़ा

  1. वाकई दुनिया बहुत बेरहम है। ईमानदारी का कोई फायदा नहीं है। खासकर हमारा जो समाज है ,स्वार्थी है,जो अपनों की ईमानदारी और अच्छाई से ही नफरत करते है। यह घटना पारिवारिक रिश्तों को भी शर्मशार करती है। अब तो भाई भाई पर भी भरोसा नहीं कर पाएगा, बाप बेटे पर नहीं ।और जितने भी पारिवारिक रिश्ते है वो एक दूसरे से खौफ खाएगे और विश्वास नहीं करेंगे।
    मुकेश भाई उम्र में छोटे होकर भी अपनों से बड़ों के नजर में बहुत इज्जत कमाए। आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे,,आप अमर रहेंगे।और शब्द नहीं आ रहे है लिखने को। आंसू छलक रहे हैं। लव यू मुकेश भाई।

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