बस्तर के अलग-अलग जिलों के पीएससी, सीएचसी, जिला हास्पिटल और मेडिकल कॉलेज से हर साल एक लाख से ज्यादा मरीजों को इलाज के लिए एक हास्पिटल से दूसरे हास्पिटल रेफर किया जाता है। इन मरीजों में हजारों मरीज ऐसे होते हैं जो जिंदगी और मौत की जंग लड़ते-लड़ते बेहतर इलाज के लिए तीन सौ किमी का सफर तय कर रायपुर और विशाखापटनम जाते हैं। जिन मरीजों को रायपुर रेफर किया जाता है उनमें से कई की मौत हो जाती है। अब तक रेफर होने के दौरान रास्ते में कितने मरीज मरे इसका कोई रिकार्ड किसी के पास नहीं है। अफसर आठ डाक्टरों की नियुक्ति 23 करोड़ रुपए के लिए अटकाये हुए हैं। 23 करोड़ रुपए से डाक्टर पूरे साल लाखों लोगों को नई जिंदगी देंगे जितनी राशि डाक्टरों को देनी है उतनी राशि का भ्रष्टाचार तो अकेले दंतेवाड़ा जिले में एक साल में कर दिया गया। यहां हास्पिटल, रिटेनिंग वॉल, स्वागत द्वार, तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम इससे ज्यादा राशि की बंदरबाट कर दी गई। इस बंदरबाट पर कोई सुनवाई नहीं हुई, जो अफसर डाक्टरों के लिए पैसे देने के लिए तैयार नहीं हैं उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं हुई, सरकार बदल गई लेकिन नई सरकार में भी भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं हुई और इधर लाखों लोगों को जिंदगी देने के मामले में जनता के लिए आये जनता के पैसे देने को तैयार नहीं है।
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