बीजापुर। प्रख्यात कवि,कथाकार,नाटककार, आदिवासी संस्कृति के अध्येता लेखक,जनजातीय भाषाओं के शब्दकोशकार और बाल साहित्यकार लक्ष्मीनारायण पयोधि की जनजातीय भावलोक पर केन्द्रित अत्यंत चर्चित काव्यकृति ‘लमझना’ पर ऑनलाइन विमर्श 28 अप्रैल को शाम 6 बजे से आयोजित किया गया है।
प्रतिष्ठित और सक्रिय साहित्यिक संस्था ‘हिन्दी साहित्य भारती छत्तीसगढ़’ द्वारा सुप्रसिद्ध भाषाविद्-साहित्य मनीषी डॉ. (प्रो.) चित्तरंजन कर की अध्यक्षता में आयोजित इस विचार-गोष्ठी में आलोचक-सर्जक डॉ. गिरिजाशंकर गौतम (रायपुर), महेन्द्र वर्मा (बेमेतरा),राजेन्द्र श्रीवास्तव (विदिशा,मध्यप्रदेश) और यशपाल शर्मा (चित्तौड़गढ़,राजस्थान) इस अभिनव काव्यकृति पर समीक्षात्मक चर्चा करेंगे।प्रसिद्ध साहित्यकार बलदाऊराम साहू द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम का संचालन युवा कवयित्री और लेखिका श्रीमती निशा साहू (दुर्ग) करेंगी।
उल्लेखनीय है कि मूलत: बस्तर के भोपालपटनम् निवासी लक्ष्मीनारायण पयोधि की विभिन्न विधाओं में अबतक कुल 56 पुस्तकें प्रकाशित हैं,जिनमें 21 काव्यकृतियाँ हैं।श्री पयोधि की जनजातीय संस्कृति और जीवन-संघर्ष पर केन्द्रित पहली काव्यकृति ‘सोमारू’ को प्रख्यात आलोचकों और कवियों द्वारा हिन्दी कविता में नयी धारा के रूप में स्वीकार किया गया है और वरिष्ठ लेखिका डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’ का ‘सोमारू’ की विवेचना पर केन्द्रित आलोचना-ग्रंथ ‘उत्तर सोमारू’ काफी चर्चित रहा है।इस कृति के अबतक चार संस्करण प्रकाशित तथा अंग्रेजी और मराठी में इसका अनुवाद भी हो चुका है।
अनेक पुरस्कार और सम्मानों से विभूषित श्री पयोधि की जनजातीय भावलोक पर केन्द्रित दूसरी चर्चित काव्यकृति ‘लमझना’ के नाट्य रूपांतरण ‘जमोला का लमझना’ की भोपाल,मुंबई, रायपुर सहित विभिन्न शहरों के नाट्य समारोहों में प्रस्तुतियों ने उसे लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचा दिया है।’सोमारू’,’लमझना’ और पयोधि की जनजातीय संस्कृति पर केन्द्रित विभिन्न कृतियों को केन्द्र में रखकर डॉ. ज्योति कुशवाहा (बिलासपुर) और श्रीमती जयाप्रभा भट्टाचार्य (अंडमान) द्वारा पीएचडी के लिये शोध किया जा चुका है।डॉ. ज्योति कुशवाहा की शोधकृति ‘लक्ष्मीनारायण पयोधि के साहित्य में जनजातीय संवेदना’ विगत वर्ष प्रकाशित होकर चर्चा में रही थी।
चर्चित काव्यकृति ‘लमझना’ पर ‘हिन्दी साहित्य भारती छत्तीसगढ़’ के इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ विद्वानों की चर्चा से निश्चय ही इस कृति की काव्यभूमि के नये आयाम खुलेंगे।