जंगल आदिवासियों का हैं, एक डगाल भी काटना हो तो वन विभाग को पहले ग्राम सभा से लेनी होगी अनुमति

बीजापुर। पेद्दाकोडेपाल और कावड़गांव क्षेत्र में कथित जंगल कटाई को लेकर नाराज क्षेत्रीय विधायक विक्रम शाह मंडावी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुँच मुआयन किया, इस दौरान उन्होंने वन मंडल मुख्य प्रबंधक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि नियमों को ताक पर रखकर अवैध तरीके से जंगलों की कटाई कराई जा रही है।

गौरतलब हैं की बीजापुर जिले के पेद्दाकोडेपाल और कावड़गांव के जंगलो में कूप कटाई के नाम पर वन विभाग के अफसर अपनी मनमानी में उतर आये हैं जों वहशियाना रवैया अपनाते हुए ईमारती पेड़ों की अवैध रूप से कटाई कर रहे हैं। वहीं क्षेत्र के नागरिकों में भी पेड़ों की मनमानी तरीके से काटे जाने को लेकर जमकर रोष हैं, विधायक विक्रम शाह मंडावी का आरोप है कि बिना ग्राम सभा सहमति और परामर्श के हजारों पेड़ों की कटाई की जा रही है, जो कि पेसा कानून, पांचवीं अनुसूची और ग्राम सभा के अधिकारों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्र बीजापुर में वन अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और ग्राम सभाओं की भूमिका को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।

मंडावी ने यह भी आरोप लगाया कि जंगलों के रक्षक और प्रकृति पूजक ग्रामीणों को जेल भेजने की धमकी देकर मशीनों से जंगल कटवाए जा रहे हैं। जों पूरी तरह तानाशाही हैं अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को जेल भेजनें के नाम पर डराया-धमकाया जा रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
विधायक ने राज्य सरकार से मांग की है कि डराने-धमकाने की नीति अपनाने वाले डीएफओ रामाकृष्णा रंगानाथन को तत्काल हटाये और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। साथ ही, ग्राम सभा की सहमति के बिना की जा रही किसी भी तरह की जंगल कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग भी की। इस मामले में वन विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। स्थानीय ग्रामीणों में भी जंगल कटाई को लेकर आक्रोश देखा जा रहा है और वे अपने परंपरागत अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं।
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कूप कटाई वन प्रबंधन की एक विधि है, जिसमें वन क्षेत्र के स्वस्थ विकास के लिए सूखे, रोगग्रस्त या बाधक पेड़ों को योजनाबद्ध तरीके से हटाया जाता है, ताकि भविष्य में वन घना और स्वस्थ हो सके; यह अक्सर 10 साल की कार्ययोजना का हिस्सा होती है और इसका उद्देश्य वनोत्पाद, जलाऊ लकड़ी या चारे की पूर्ति करना भी होता है, लेकिन इसबार वन अधिकारी खुद हरियाली के दुश्मन बने बैठें हैं जों स्वस्थ पेड़ों को कटने में तुले हैं, जिससे विवाद गहराता जा रहा हैं।
