आला दर्जे के कार्पेंटरों को खुली छूठ, छोटे स्तर के बढ़हाईयों पर कार्रवाई का शिकंजा
बीजापुर। वैध तरीके से डीपो की लकड़ी खरीद फर्नीचर बनाकर अपना जीविका चलाने वाले ग्रामीण स्तर के बढ़हाइयों पर फारेस्ट विभाग के अधिकारी कार्रवाई की सितम ढा रहे हैं बस फर्क इतना ही हैं इनके पास लाइसेंस जबकि कई बार लाइसेंस के लिए डीएफओ कार्यालय में आवेदन कर चुके हैँ वही दूसरी ओर लाइसेंसी प्राप्त आला दर्जे के बढ़हाई जों अधिकारियो के नाक के नीचे बिना टीपी वाले इमारती लकड़ियों से महंगे फर्नीचर बनाकर अपने कारोबार को धड़ल्ले से अंजाम दे रहे हैं।
बीजापुर जिले के भोपाल पटनम, मद्देड, रुद्रारम, तीमेड, आवापल्ली, कुटरू भैरमगढ़, नैमेड, क्षेत्र के जंगलों में अवैध रूप से सागौन,शीशम, हल्दू, बीजा एवं नीलगिरी जैसी इमारती पेड़ो की दबे पांव कटाई हो रही हैं, आखिर किसके संरक्षण में इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा हैं यह वन परिक्षेत्र अधिकारियों ( रेंजर ) से बेहतर कौन जान सकता हैं। अवैध रूप से कटाई हुए इन ईमारती लकड़ियों की जानकारी बिना सरकारी रिकार्ड में दर्ज किये ही आला दर्जे के बढ़हाईयों को अवैध रूप से बेच कर वन विभाग के अफसर अपनी तिजोरी भर रहे हैं औऱ सरकारी रिकार्ड का बैलेंस बनाने, छोटे बढ़हाईयों को अपने कार्रवाई का शिकार बनाकर उगाही की आधी रकम को बतौर जुर्माना दर्ज कर सरकारी खजाने में डालकर औपचारिता निभाने कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
मद्देड ग्राम के निवासी राम नारायण वासम ने बताया की वह छोटे स्तर के कारपेंटर हैं जों ऑडर पर फर्नीचर बनाकर अपना औऱ परिवार का पालन पोषण करते हैं कुछ दिनों पहले ही वह 85 हजार में ईमारती लकड़ियों की खरीदारी वैध रूप से किया हैं मगर उनके पास वन मंडल अधिकारी द्वारा जारी किया गया लाइसेंस नहीं हैं।यही वजह हैं की उन्हें फर्नीचर बनाने में परेशानी होती क्योकि की अधिकारी आकर बेवजह अवैध रूप से इमारती लकड़ियों का फर्नीचर बनाने का इल्जाम लगाकर कार्रवाई कर देते हैं। जबकि कई बार बीजापुर वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में लाइसेंस के लिया आवेदन देकर अप्लाई कर चुके हैं। किंतु अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं।
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नव निर्माण बड़े ईमारतों में कहां से आ रहे हैं ईमारती लकड़िया, जहां चोरी छुपे ही आधी रात को पहुँच जा रहा हैं औऱ बिना आहट के ही पलंग, दरवाजे, डाइनिग टेबल, ड्रेसिंग टेबल सोफा कुर्सी, इत्यादि फर्नीचर का काम हो जाता हैं औऱ यह गुपचुप अवैध काम अभी भी जारी हैं लाखों रुपय की ईमारती लकड़ियों को कौड़ी के दाम रेंजरों की साठ गाँठ से बेचा जा रहा हैं। डीएफओ औऱ एसडीओपी कमीशन के एवज में अपनी चुप्पी साध रखे हैं।
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राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना की शुरुआत की खासकर ग्रामीण क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि लाने किया गया हैं इस योजना के तहत 5 एकड़ जमीन में इमारती वृक्षों का रोपण किए जाने पर किसानों को शत प्रतिशत वित्तीय अनुदान दे रही हैं राज्य शासन द्वारा 1 वर्ष में 36 हजार एकड़ तथा 5 वर्षो में 1 लाख 80 हजार एकड़ क्षेत्रफल में कुल 15 करोड़ वृक्षारोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। मगर बीजापुर जिले में ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को इस योजना की भनक तक नहीं हैं।
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सूचना का अधिकार के तहत जिले में कितने किसानों द्वारा वृक्ष संपदा योजना के तहत वृक्षारोपण की है तथा फॉरेस्ट विभाग की डिपो में कितनी मात्रा में इमारती लकड़ियों के चिरान,कुंदा,बांस उपलब्ध हैं इसके आलावा फॉरेस्ट विभाग के अफसर द्वारा कार्रवाई के दौरान जब्त की गई इमारती लकड़ियों की जानकारी मांगी गई थी मगर वन विभाग के अधिकारी अपनी पोल खोलने की डर से उक्त जानकारियां देने से भाग रहे हैं।