रोजगार को बढ़ावा देने बस्तर वनमण्डल में किया जा रहा शीशल रोपण

बस्तर वनमण्डल के अंतर्गत 100 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण,शीशल रेसा से ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

जगदलपुर। वर्तमान में शीशल उद्योग छत्तीसगढ़ में कहीं पर भी संचालित नहीं है। ऐसे में इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सचिव सहकारिता विभाग डॉ.सीआर प्रसन्ना के द्वारा बस्तर जिले के प्रवास कार्यक्रम के दौरान दिए गए निर्देशानुसार वन परिक्षेत्र बस्तर के अन्तर्गत कोलचूर बीट के कक्ष क्रमांक पी. 1442 नया 532 रकबा 50 हेक्टेयर में भरनी के पास शीशल रोपण किया गया है। ग्राम भरनी में रान बांस डोरी उद्योग समिति बना हुआ है। वनमण्डलाधिकारी बस्तर के द्वारा ग्राम भरनी का दौरा कर तत्काल शेड निर्माण कार्य और मशीन लगाने का निर्देश दिया गया था, जिसके अनुरूप ग्राम भरनी में शेड निर्माण के पश्चात शीशल प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है। बस्तर वनमण्डल के अन्तर्गत वन परिक्षेत्र बकावण्ड के ढोढरेपाल में 50 हेक्टेयर रकबा में 11000 शीशल रोपण एवं वन परिक्षेत्र बस्तर अन्तर्गत भरनी में 50 हेक्टेयर में 11000 शीशल रोपण किया गया था। बस्तर वनमण्डल में कुल 100 हेक्टेयर रकबा में 22000 शीशल रोपण का कार्य वृहद रूप से किया गया है जिससे समिति को रॉ-मटेरियल भरपूर मिल सकेगा और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

मैं शीशल नहीं रोजगार हूं

मेरा नाम अगेव शिशलाना है लोग मुझे केकती, रान बांस या शीशल के नाम से जानते हैं मैं बहुत ही कम पानी से अपना जीवन चला सकती हूं, परन्तु अपने शरीर के भीतर पर्याप्त जल संग्रहण कर रखती हूं जहां मैं रहती हूं, उस स्थान पर भूमि नम रहती है, एक बार जब मुझे रोपण कर दिया जाता है उसके पश्चात् मेरी मृत्यु संभव नहीं है, जब तक की कोई मेरा जानबूझकर नुकसान न पहुंचा दे। एक किलोग्राम शीशल के पत्ते को मशीन के द्वारा रेसा निकालकर सुखाने पर 200 ग्राम रेसा प्राप्त होता है 8 व्यक्ति मिलकर लगभग एक क्विंटल पत्ते एकत्र करते हैं और उसकी रेसा बनाने पर 20 किलोग्राम रेसा प्राप्त होता है। जिसका बाजार भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम है। 20 किलोग्राम का 5000 रुपये प्राप्त होता है। 8 व्यक्ति का रोजी 350 की दर से 2800 रुपये होगा, शेष 2200 रुपये बिजली, पानी एवं रखरखाव में व्यय होगा। इस प्रकार लाभ ही लाभ है तभी तो मैं कहती हूं कि मैं शीशल नहीं रोजगार हूं।

शीशल को प्रोत्साहन की है आवश्यकता

बस्तर के वनमण्डलाधिकारी श्री उत्तम गुप्ता बताते हैं कि शीशल से संबंधित कार्य से ग्रामीणों को लाभ ही होता है नुकसान की बात ही नहीं है। इसे व्यापक प्रचार-प्रसार कर उद्योग के रूप में विकसित किये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में बस्तर वनमण्डल के अन्तर्गत बस्तर वन परिक्षेत्र के भरनी एवं बकावण्ड वन परिक्षेत्र के ढोढरेपाल में 100 हेक्टेयर में कुल 22000 पौधे शीशल रोपण कर इस उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे उत्पादन से जुड़कर आर्थिक तौर पर सक्षम होकर आत्मनिर्भर हो सकें।

gondwananews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बस्तर जिला प्रशासन द्वारा निवृतमान कलेक्टर विजय दयाराम के. को दी गई आत्मीय विदाई

Thu Sep 19 , 2024
बस्तर की जनता से मिले अपार स्नेह से मिली सुखद अनुभूति-निवृत्तमान कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. जगदलपुर। बस्तर जिला प्रशासन द्वारा निवृतमान कलेक्टर विजय दयाराम के. को बुधवार शाम आत्मीय विदाई दी गई। इस दौरान पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुन्दराज पी., नवपदस्थ कलेक्टर हरीस एस., एसपी श्री शलभ सिन्हा, डीएफओ […]

You May Like

Breaking News