जिला एवं मातृत्व शिशु अस्पताल के डॉक्टरों को मिलता है डबल पैकेज, मगर उपचार की सुविधा शून्य, ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर पहले भी बिगाड़ चुका है कई केस
{मो.अख्तर खान}
बीजापुर। परिवार नियोजन के तहत नसबंदी कराना एक महिला के लिए जोखिम बन गया है, डॉक्टर ने ऐसा ऑपरेशन किया की अब महिला की जान आफत में है, डॉक्टर ने पेट के जिस हिस्से में ऑपरेशन किया है, उस जगह से लगातार खून बह रहा है, दो बार डॉक्टरों ने टांके लगाये, मगर क़ोई सुधार नहीं हुआ, वहीं सिविल सर्जन डॉ. रत्ना रामटेके जगदलपुर महारानी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन को दिखाने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ने लगी है, बीजापुर मातृत्व शिशु हॉस्पिटल को एक डॉक्टर ने प्रयोगशाला बना दिया है।
गौरतलब है कि बीजापुर मातृत्व शिशु अस्पताल (उत्सव) में महिलाओं का प्रसव या नसबंदी कराना यानी अपनी जान जोखिम में डालना है यह अल्फाज़ एक पीड़िता महिला की है बीजापुर विजय नगर निवासी शेख रुखसाना पति अकबर उम्र 26 वर्ष प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने 4 सितंबर 2024 की शाम मातृत्व शिशु अस्पताल (उत्सव) में भर्ती कराने लेकर पहुंचे थे, लेकिन भर्ती प्रक्रिया की विलम्भता औऱ डॉक्टर की गैरमौजूदगी के कारण महिला ने खुद अस्पताल परिषर में ही नवजात को जन्मदिन दे दिया, अस्पताल के अन्य कर्मचारियो को इसकी जानकरी मिलने पर आनन-फानन में, लेबर वार्ड में महिला को शिफ्ट किया। प्रसव के दो दिन बाद 7 सितंबर 2024 को महिला ने परिवार नियोजन योजना के तहत नसबन्दी कराने की इच्छा जाहिर की, डॉक्टर ने परिजनों से विभिन्न दस्तावेजों में हस्ताक्षर करा, ऑपरेशन कर दिया। मगर महिला के लिए यह नसबंदी ऑपरेशन जान की आफत बनी हुई है, डॉक्टर ने लापरवाही पूर्वक ऑपरेशन करने के कारण, पेट के जिस हिस्से में कट कर टांके लगाये वह नासूर बन गया है जहां से निरंतर खून का रिसाव जारी है। परिजनों ने जगदलपुर, हैदराबाद, वरंगल के प्राइवेट हॉस्पिटल के एक्सपर्ट डॉक्टरों को दिखा चुके है जिनका कहना था, जिस डॉक्टर ने नसबन्दी ऑपरेशन किया है उसने गंभीर लापरवाही बरती है औऱ उसी से ही इलाज कराएं। अंततः परेशान होकर परिजन बीजापुर सीएमओ डॉ. बुधराम पुजारी, जिला अस्पताल सिविल सर्जन डॉ. रत्ना रामटेके से उक्त डॉक्टर के खिलाफ मौखिक रूप से शिकायत की जिसके बाद दोनों ने इलाज कराने का आश्वासन दिया था। महिला के जिस हिस्से में ऑपरेशन उपरांत टांके लगाए गए थे उसी जगह दोबारा और टांके लगाये, मगर क़ोई राहत नहीं मिला, स्तिथि पहले से गंभीर हो गई है अब तो टांके का सिलाई मांस के साथ उधड़ रहा है। महिला की कंडीशन को देखते हुए बड़ी बड़ी बाते करने वाली सिविल सर्जन डॉ.रत्ना रामटेके ने हाँथ खड़े कर दिया जिनका कहना महिला को महारानी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन एक्सपर्ड को दिखाना पड़ेगा।
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ऑपरेशन करने वाले महान डॉक्टर का नाम सचिन है जो खुद को क्षेत्र में बेहतर काम करने की बात करता है। ज्ञात हो की भोपाल पटनम सेंड्रापारा निवासी ललिता मेट्टा का लापरवाही पूर्वक प्रसव करने की वजह से मौत हो गईं, इस दौरान मृतका के पति बंडू मेंट्टा ने डॉक्टर पर जबरन नॉर्मल प्रसव कराने पर अड़े रहने का आरोप लगाया था, जबकी महिला की असहनीय पीड़ा को देखते हुए सीजर करने की गुहार लगाते रहे, आखरी महिला की मौत हो गई, उक्त डॉक्टर के खिलाफ कई मामले में शिकायते हो चुकी है मानों डॉक्टर ने उमंग अस्पताल का प्रयोग शाला समझ रखा है। वहीं सीएमएचओ, सिविल सर्जन ने खुली छूट दे रखा है।
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महिला नसबंदी एक ऐसी प्रक्रिया है जो महिला की फैलोपियन ट्यूब को बंद या अवरुद्ध कर देती है, जिससे स्थायी जन्म नियंत्रण मिलता है। फैलोपियन ट्यूब अंडाशय से अंडे को गर्भाशय तक ले जाती है। ट्यूब को अवरुद्ध या बंद करने से शुक्राणु अंडे तक पहुँचने और उन्हें निषेचित करने से रोकता है। महिला नसबंदी दो प्रकार की होती है ट्यूबल लिगेशन, जिसे ” ट्यूब को बांधना भी कहा जाता है, एक आउटपेशेंट सर्जरी है जिसमें ट्यूब को काटा जाता है, बिजली के करंट से सील किया जाता है, या क्लिप, क्लैम्प या रिंग से बंद किया जाता है। ट्यूबल लिगेशन को लैप्रोस्कोपिक रूप से या पेट में एक छोटे चीरे (मिनी-लैपरोटॉमी) के माध्यम से किया जा सकता है। मगर जिस डॉक्टर ने महिला का नसबंदी किया नाभि के नीचे 4 इंच से अधिक कट किया है।