जिनकी भूमिका संदिग्ध, जांच के लिए उन्हे भेज रही हैं सिविल सर्जन
बीजापुर। जिला अस्पताल में मरीजों को बिना बाटें ही आखरी क्यो खराब हो रही हैं सीजीएमएससी की दवाईयाँ, क्या इसके पीछे निजी मेडिकल संस्थाओं को कमीशन के एवज में टेंडर देना तो नहीं हैं? एकओर डॉक्टर,कर्मचारियों को वेतन देने पैसे नहीं होने का रोना रोया जा रहा हैं वहीं दूसरी ओर लाखों रुपये की दवाओं को जलाकर राख़ किया जाना गंभीर हैं।
गौरतलब हैं कि सीजीएमएससी द्वारा मौसमी बीमारी, उल्टी दस्त, बुखार, की दवा,मलहम, ट्यूब, पट्टी, कॉटन ( रुई )सहित अस्पताल की साफ सफाई के सामग्रियों की सप्लाई शामिल हैं। इन सारी चीजों को लेने के लिए पहले कोटेशन बनाकर या सीजीएमएससी के पोर्टल में देखकर ऑर्डर दिया जाता है और जो सामान सीजीएमएससी के पास नहीं रहता हैं इस स्थिति में निजी मेडिकल संस्थाओं से कोटेशन या टेंडर के आधार पर सामग्री खरीदने के नियम हैं। मगर बीजापुर जिला एवं मातृत्व शिशु अस्पताल (उत्सव) में दवाई एवं सामग्रियों को खरीदने का अलग ही खेल चल रहा है जिन दवाइयां को छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड से डिमांड कर मंगाया गया था उन्हें जलाया जाना समझ से परे है जबकि नियम यह है सीजीएमएससी द्वारा सप्लाई की गई दवाओं की वितरण नहीं होने तथा एक्सपायरी होने पर वापस किया जाना अनिवार्य है। किंतु अस्पताल में दवाई एवं अन्य सामानों की मैनेजमेंट करने वाले चालबाज अपनी चालाकियों से पीछे नहीं हट रहे हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों को मुफ्त देने वाली दवाओं की वितरण नहीं करने की वजह से लाखों रुपए की दवाएं हर साल खराब हो रही हैं कुछ के तो कार्टून तक नहीं खोल पाते और एक्सपायर हो जाते हैं।ऐसे में शासन की योजना का लाभ गरीबों को तो नहीं मिलता है, बल्कि लाखों रुपए का फटका शासन को लग रहा है।
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सीजीएमएससी को दवाओं के लिए इंडेंट सामान्य तौर पर हर साल 15 जुलाई को या कार्यक्रम लागू होने से कम से कम छह महीने पहले देना होता है.
सीजीएमएससी को 100% धनराशि मिलने के बाद ही दवाओं का क्रय आदेश दिया जाता है.
सीजीएमएससी, दवाओं को सीएमएचओ को जारी करता है.
सीएमएचओ, दवाओं का आगे जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वितरण करता है.
सीजीएमएससी, पीएचसी स्तर तक दवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी करता है.
सीजीएमएससी, पीएचसी के लिए छह महीने और उच्च संस्थानों के लिए चार महीने की दवाएं वितरित करता है.
इसके बाद, खपत के आधार पर दवाओं का स्टॉक समय-समय पर रिफ़िल किया जाता है.
सीजीएमएससी द्वारा खरीदी गई दवाओं की मात्रा की ज़िम्मेदारी मांगकर्ता की होती है.
मांगकर्ता को दवाओं की उठाने या खपत की स्थिति के बावजूद पूरी रकम का भुगतान करना होता है
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कितना हकीकत कितना फसाना
एक्सीपायर औऱ खत्म हुई दवाइयों हैं जिन्हे जलाया गया हैं मैं बीएमडब्लू इंचार्ज औऱ सुपरवाइज़र को बुलाकर पूछी हूं। पहले भी दवाइयां को जलाने की शिकायत हुई थी जबकि अस्पताल में पहले से ही दवाइयां का शॉर्टेज है
डॉ. रत्ना रामटेके
सिविल सर्जन जिला अस्पताल बीजापुर