जिला प्रशानिक अधिकारी गौ-अभ्यारण योजना के आने का कर रहे इंतजार
बीजापुर। राज्य शासन की गौ-अभ्यारण योजना बीजापुर जिले तक नहीं पहुंची हैं औऱ गोठानों के बंद होने के बाद मावेशियों की सुरक्षा औऱ संरक्षण की जिम्मेदारी अब जिला प्रशासनिक अफसर भुला बैठें है यही वजह हैं की इन दिनों बीजापुर बस स्टैंड में शाम होते ही मवेशियों का जमावड़ा लगा हुआ रहता हैं ऐसे में बस स्टेण्ड में राज्य एवं अंतर राज्य स्तर पर चलने वाली बसों के ड्राइवरों को अचानक होने वाली हादसे का डर बना हुआ है।
गौरतलब हैं कि प्रदेश में पिछली कांग्रेस की सरकार ने नेशनल हाईवे तथा शहर के मुख्य चौक चौराह में आवारा मावेशियों कि झुंड रहने औऱ होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए गौवंशों की सुरक्षा के लिए प्रदेश के समस्त शहर, गांव में गोठानों का निर्माण किया गया, जिसे “गोधन न्याय योजना” के नाम से एक ऐसी योजना चलाई गईं जो राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों से गोबर खरीदने के लिए शुरू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों की आय बढ़ाना, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देना, और पशुओं की देखभाल के लिए सुविधाएं प्रदान करना रहा, मगर यह योजना प्रदेश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद वर्तमान साय सरकार नें छत्तीसगढ़ में गौवंशों को बचाने के लिए महत्वाकांक्षी गौ-अभ्यारण योजना की शरुआत की, इस योजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर घूमते गौवंशों को एक निश्चित जगह देना है, जहां इनको सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सके, सड़कों पर भूखे-प्यासे भटकने वाले मवेशियों को चारा मिले एवं बीमार कमजोर हो चुके मावेशियों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध हो। हालांकि यह योजना को अभी बीजापुर जिले तक पहुंचने में विलंब जरूर लगेगा। शायद यही कारण हैं की जिला प्रशासनिक अधिकारी इस योजना के आने का इंतजार कर रहे हैं,जबकि प्रदेश में गौवंश की संरक्षण के लिए कई योजनाएं पहले से ही चली आ रहीं हैं।
सबड़ी चिंता का विषय यह हैं प्रदेश की प्रमुख बड़े शहरों की तरफ चलने वाली लग्जरी बसों के अलावा आंध्र-प्रदेश, तेलंगाना औऱ महाराष्ट्र राज्य की ओर भी आधी रात तक बसों के आने औऱ जाने का सिल सिला लगा रहता हैं। इन भारी भरकम लग्जरी बसों को चलाने वाले ड्राइवरों को अक्सर यह डर रहता हैं हॉर्न की आवाज से अचानक मावेशी दौड़ जाते हैं जिसे एक गंभीर हादसा होने का खतरा बना हुआ हैं। यही नहीं बीजापुर शहर के मुख्य रास्ते से बीचो-बीच होकर बड़े-बड़े ट्रक हइवा एवं ट्रेलरों का भी 24 घंटे आना जाना लगा रहता हैं। जिला प्रशासनिक अधिकारी इसपर अमल नहीं करते हैं तो निश्चित ही एक बड़ा हादसा होने का खतरा हैं।