भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म से ऊपर उठकर देश सेवा को अपना परम धर्म माना
बिलासपुर – डी.पी. विप्र महाविद्यालय में आज दिनांक 27 जनवरी 2024 को “नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान” विषय पर एक दिवसीय व्याख्यानमाला आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. एस.एल. निराला, प्राचार्य शासकीय जे.पी. वर्मा महाविद्यालय बिलासपुर, विशिष्ट अतिथि डॉ. अंकुर शुक्ला सी.ई.ओ. एग्जॉनबोट सर्विस वीवीआईपी समूह, नई दिल्ली, डॉ. वेद अग्रवाल एवं डॉ.श्रीमती अंजू शुक्ला, प्राचार्य डी.पी. विप्र महाविद्यालय बिलासपुर उपस्थित रही।
डॉ. एस.एल. निराला ने अपने उद्बोघन में कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस जाति, धर्म, पुरूष, महिला से उपर उठकर त्याग और तपस्या के माध्यम से देश के विकास में अपना योगदान दिया। नेताजी के विचारधारा की बहुत सी बातों को बताते हुए विस्तार से कहा कि नेताजी स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को लेकर आगे चले है और संगठन में ही शक्ति है। इसी भावना से प्रेरित होकर उन्होने आजाद हिंद फौज का गठन किया। किसी राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए आदर्शवाद पर अधिक ध्यान ने देकर यथार्थवादी बनना चाहिए। डॉ. श्रीमती अंजू शुक्ला ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भारतीय संग्राम में सर्वोपरि बताते हुए कहा कि वे सभी भारतवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। पराक्रमी व्यक्तित्व के धनी होने के कारण ही उनका जन्मदिवस पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बलशाली, पराक्रमी, युगपुरूष नेताजी विवेकानंद के आदर्शों को लेकर और शक्ति की उपासना करके भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म से ऊपर उठकर देश सेवा को अपना परम धर्म माना। नेताजी सूक्ष्मदर्शी परिस्थितियों को परखने वाले महान विद्वान थे।
कर्तव्य के प्रति निष्ठावान व्यक्ति ही देश, समाज, व संस्था को आगे बढा़ सकता है। डॉ. अंकुर शुक्ला ने नेताजी के व्यक्तित्व व उनके नेतृत्व क्षमता के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उनका पूर्णरूप से उनका जीवन देश व समाज के लिए समर्पित था। उनमें कुशल नेतृत्व की क्षमता थी। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा काव्य पाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन लोकप्रशासन के विभागाध्यक्ष डॉ. एम.एस. तंबोली एवं आभार प्रदर्शन डॉ. आभा तिवारी प्राध्यापक राजनीति विज्ञान ने किया। इस अवसर पर डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. एम.एल. जायसवाल, डॉ. विवेक अंबलकर, डॉ. सुषमा शर्मा, प्रो. ए.श्रीराम, डॉ. शिखा पहारे, प्रो. तोषिमा मिश्रा, डॉ. सुरूचि मिश्रा, प्रो. विश्वास विक्टर, डॉ. किरण दुबे, रूपेन्द्र शर्मा, बृजेश बोले, सुचित दुबे, श्रीमती ज्योति तिवारी, एस.आर. चन्द्रवंशी, समस्त प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।