विभागीय अधिकारी लापरवाह बीआरसी एवं अधीक्षिका को बचाने में क्यों तुले हैं
बीजापुर l आवापल्ली के चिंताकुंटा बालिका पोटा केबिन में आगजनी की घटना में हुई बेगुनाह मासूम के मौत का गुनहगार कौन है शिक्षा विभाग के आलाधिकारी पोटा केबिनेट अधीक्षिका पर इतना मेहरबान क्यों है? कि उसके लापरवाहियों पर पर्दा डालकर छुपाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है जबकि नैतिकता के आधार पर बीआरसी एवं अधीक्षिका के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रभाव से हटा देना चाहिए। जैसा कि चेरामंगी में हुए एक बालक की खुदकुशी के बाद कलेक्टर के आदेश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए प्रभारी आश्रम अधीक्षक को निलंबित कर दिया था।
गौरतलब है कि बीजापुर जिले के आवापल्ली ब्लाक अंतर्गत ग्राम चिंताकुंटा में संचालित 5 सौ सीट के बालिका पोटा केबिन छात्रावास में बीते 7 मार्च को भीषण आगजनी की घटना घटित हुई थी इस घटना में साढ़े चार वर्ष की मासूम लिप्सा की मौत हो गई, जिला प्रशासन सहित कांग्रेस की एक फॉरेंसिक टीम जांच कर घटना के होने की वजह तलाश रही है जो केवल औपचारिकता भर है क्योंकि आगजनी की घटना शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था अंततः रिपोर्ट में यही दर्ज कर फाइल को बंद कर दिया जाएगा।
इस मामले में पोटा केबिन अधीक्षिका गीता मोडियम एवं बीआरसी वेंकटेश तोकल पर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी इतनी मेहरबान है कि उनकी लापरवाहियों पर पर्दा डालकर उन्हें बचाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है कहा यह भी जा रहा है कि उक्त पोटा केबिन अधीक्षिका जिले के एक कांग्रेसी नेता की रिश्तेदार है। यही कारण है की कार्रवाई करने तथा अधीक्षिका पद से गीता मोडियम को हटाने में अधिकारियों के हाँथ पांव फूल रहे है।
ज्ञात हो चेरामंगी के आश्रम में एक बच्चे की खुदकुशी के मामले में प्रभारी अधीक्षक पर कार्य के प्रति लापरवाही एवं गैरजिम्मेदारी के खिलाफ कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश जारी करते हुए उक्त आश्रम अधीक्षक को तत्काल निलंबित करने का फरमान जारी किया था, जबकि पोटा केबिन में आगजनी की घटना से बच्ची की मौत का मामला भी कई गुना गंभीर है।
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बच्चे जिस हॉल में सोते थे उसी से सटे कमरे में बिजली के पोल, ग्रिप मीटर बोर्ड लगा हुआ था, क्या बीआरसी एवं पोटा केबिन अधीक्षिका अन्य कर्मचारियों ने यह अनुमान नहीं लगाया की बिजली के बोर्ड होने पर शॉट सर्किट का खतरा हो सकता है? जबकि इन्ही खतरतों को भाँपते हुए अब शासकीय कार्यालय के मीटर रीडिंग भी अब बाहर लगाये जा रहे है।
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आगजनी की घटना नाकाबिले बरदाश्त है इस घटना में मासूम बच्ची लिप्सा ने खुद को बचाने क्या-क्या जतन किए होंगे, लिप्सा शायद खुद को बचाना, पलंग के नीचे छुप गई थी उसे लगा होगा कि वह आग की लपटों से सुरक्षित रहेगी, मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, मासूम ने जो दर्द तकलीफ महसूस की होगी यह सोचकर भी रूह काँप जाता है जिसने भी यह मंजर देखा वह सिहर कर रह गया।
—————————————————————बीआरसी वेंकटेश तोकल और अधीक्षिका गीता मोडीयम पर कार्रवाई इसलिए नहीं हो रही है पोटा केबिन में आगजनी से जिस बच्चे की मौत हुई है वह बच्ची पोटा केबिन में नहीं पढ़ती थी किंतु सवाल यह है कि जब बच्ची पड़ती नहीं थी और उसका दाखिला भी नहीं हुआ था तो आखिर उसे पोटा केबिन में रखने की इजाज़त किसने दी थी, अगर अधीक्षिका बच्ची को उसके पालकों के साथ वापस भेज देती तो शायद मासूम लिप्सा भयावाह हादसे का शिकार होने से बच जाती।