नगर निगम में महापौर और पार्षद प्रत्याशी चयन का मामला
बिलासपुर। भारतीय जनता पार्टी की सरकार काबिज होते ही इस बात की व्यापक चर्चा होने लगी हैं कि नगरीय निकायों के चुनाव में महापौर और नगर पालिका तथा नगर पंचायतो के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा वोट डालकर किया जायेगा। यदि यह सच हैं तो बिलासपुर नगर निगम के चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के चयन का मामला बड़ा रोचक होने की सम्भावना हैं।
अभी तक बिलासपुर नगर निगम में प्रत्याशियों के चयन को लेकर भाजपा में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का ही जलवा जलाल होता आया हैं। सीधे शब्दों में कहें तो अमर अग्रवाल जो तय कर दे वह पत्थर की लकीर होता था और अमर के चयन पर किसी को ऊँगली उठाने या विरोध करने का किसी को अधिकार नहीं था. पूर्व में देंखे तो महापौर रह चुके उमाशंकर जायसवाल, अशोक पिंगले, किशोर राय और महापौर प्रत्याशी मन्दाकनी पिंगले, निगम सभापति विभाराव, अशोक विधानी, प्रभारी महापौर विनोद सोनी ये सब नाम अमर अग्रवाल ने ही तय किये थे लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस से महापौर रामशरण यादव और सभापति शेख नजरुद्दीन का नाम कांग्रेस ने तय किया तो भाजपा प्रत्याशी खड़े करने के मामले में अमर अग्रवाल ने आश्चर्य जनक ढंग से हाथ खींच लिए और कांग्रेस प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए। अब जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार काबिज हुए 6 माह हो गए लेकिन भाजपा में राजनैतिक समीकरण में व्यापक बदलाव आ चूका हैं। कई नये नेताओं का सत्ता और संगठन में प्रादुर्भाव हो चूका हैं। अब नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव हैं। भाजपा के विधायकों धरम लाल कौशिक, धर्मजीत सिँह, शुशांत शुक्ला आदि के क्षेत्र नगर निगम में शामिल हैं ऐसे में भाजपा के सारे विधायक और नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव के साथ ही सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू तक की भी दिली इच्छा हो सकती हैं कि महापौर प्रत्याशी उसके पसंद का हो। सर्वसम्मति से नाम तय करने इतना आसान नहीं होगा इसीलिए बड़ा प्रश्न यह हैं कि नगर निगम चुनाव में किसकी चलेगी और अमर अग्रवाल का दबदबा क्या क़ायम रहेगा? अभी साय मंत्रिमंडल का विस्तार होना हैं और संभावित विस्तार में क्या अमर अग्रवाल को शामिल किया जायेगा यह भी विचारणीय हैं। यदि अमर अग्रवाल मंत्री बन गए तब तो महापौर और सभापति प्रत्याशी वे ही तय करेंगे और ना की स्थिति में कुछ भी हो सकता हैं।
Fri Jul 5 , 2024
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