ठगे जाने पर तत्काल 1930 में डायल कर ले सकते हैं मदद
बिलासपुर। टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को हर तरीके से बदला है। तकनीक की मदद से हमारे कई काम बहुत आसान हो गए हैं और जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन आ गया है,मगर यह तकनीक अपने साथ कई खतरे भी लेकर आई है। इनमें साइबर फ्रॉड सबसे अहम है,जिसे इस टेक्नोलॉजी के दम पर ही अंजाम दिया जाता है।
बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सेबी रजिस्टर्ड एक्सपर्ट विपिन डिक्सेना और विवेक राठौर ने बताया कि साइबर धोखाधड़ी भारत में एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इसलिए ऑनलाइन दुनिया में किसी भी प्रकार के फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन करते समय हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है।डिजिटल ट्रांजेक्शन के दौरान इन तरीकों से आपके साथ ठगी हो सकती है। समझाते हैं कि कैसे सावधान रहकर आप अपने काम निपटाते हुए साइबर फ्रॉड से भी बचकर रह सकते हैं।
इनवेस्टमेंट के लिए ऑनलाइन सुविधाएं आने के साथ ही अपराधियों को भी मौका मिल गया है। वह हाई रिटर्न का लालच देकर आपको ऐसी स्कीम में फंसाते हैं,जहां पैसा डूबने की ज्यादा आशंका होती है।कई कंपनियां तो निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए ऑफिस भी खोल लेती हैं।काफी पैसा इकठ्ठा होते ही ये कंपनियां ऑफिस बंद कर भाग जाती हैं। इसलिए यदि कोई आपको ऐसी स्कीम के बारे में बताए जहां रिटर्न बैंक और एनबीएफसी से ज्यादा हो तो साफ मना कर दें। उन्होंने बताया कि साइबर फ्रॉड के लिए अपराधी ईमेल, मैसेज या वेबसाइट बनाकर ऐसा दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो वैध कंपनी या व्यक्ति हैं। लोग इनके झांसे में आकर अपनी जानकारी लीक कर देते हैं और धोखे के शिकार हो जाते हैं। देश में इस तरह के फिशिंग स्कीम बहुत तेजी से सामने आए हैं
भारत में आजकल Digital Payment बड़ी संख्या में होता है. साथ ही आजकल बैंकिंग ऐप्स के जरिए अकाउंट मैनेज किए जाते हैं और जरूरी Transaction किए जाते हैं। लाखों रुपये के ट्रांजैक्शन्स भी आजकल बैंकिंग ऐप्स से आसानी से हो जाते हैं, हालांकि, इससे साइबर क्राइम का खतरा भी बढ़ा है
आए दिन लोगों के साथ ऐसे हादसे होते रहते हैं, जहां उनके अकाउंट से पैसे ऑनलाइन तरीके से लूट लिए जाते हैं. इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने यह 1930 नंबर जारी किया है, जिस पर शिकायत करते ही ऐसी किसी स्थिति में लोगों को तत्काल मदद मिल सकती है।
कॉल करने से आपको फ्रॉड से जुड़ी जानकारियां मांगी जाएगी.
गौरतलब है कि आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जहां लोगों को किसी गलत लिंक पर क्लिक करने या किसी गलत ऐप Download करने की वजह से उनके अकाउंट से पैसे दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते हैं। अगर आपके साथ कभी ऐसी घटना हो जाए तो घबराएं नहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी किए गए 1930 नंबर पर डायल कर फौरन इसकी सूचना दें। इस नंबर पर उसी नंबर से कॉल करें जिससे आपका UPI IID या बैंक अकाउंट लिंक हो। ये बताया गया नंबर सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा है। इस नंबर पर कॉल करने से आपको फ्रॉड से जुड़ी जानकारियां मांगी जाएगी।
कोरोना महामारी के बाद तेजी से बढ़े मामले…..
कोरोना महामारी के बाद से ऑनलाइन फ्रॉड के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण लोग महामारी के बाद सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ज्यादा एक्टिव हो गये हैं। लोगों की इंटरनेट पर बढ़ती सक्रियता की वजह से साइबर अपराधी भी यहां तेजी से एक्टिव हो गये, जिसकी वजह से लोगों के साथ-साथ फिनटेक कंपनियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ज्यादातर लोग कोरोना महामारी के बाद रिमोट वर्क यानी वर्क फ्रॉम होम करने लगे और ऑनलाइन पेमेंट यानी कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने लगे हैं। मई में PwC द्वारा किये गये एक सर्वे के मुताबिक 26 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को ऑनलाइन फ्रॉड की वजह से एक मिलियन डॉलर यानी करीब ₹8.23 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।
बेसिक जानकारी को फॉलो करना चाहिए, जैसे कभी भी किसी अनजान कॉल पर रिस्पांस नहीं दें।अगर अपने किसी अनजान कॉल पर रिस्पांस किया और वह आपसे किसी तरह के अप्लीकेशन को आपके फोन में इंस्टाल करने के लिए कहता है तो उसे इंस्टाल बिल्कुन ना करें। अपने अकाउंट का पासवर्ड स्ट्रांग रखें। साथ ही मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें। अपनी पर्सनल आइडेंटिफिकेशन डिटेल्स जैसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड डिटेल्स किसी अनजान को ना दें। अगर आप अपनी पर्सनल आइडेंटिफिकेशन डिटेल्स शेयर कर रहे है जैसे पासपोर्ट बनवाना हो या किसी अन्य काम के लिए दे रहे है तो यह सिक्योर करें,
कि आप किस काम के लिए अपने डिटेल्स दे रहे है ताकि उन डिटेल्स को आगे किसी अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट के दौरान किसी भी पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल नहीं करें। अपने पर्सनल और ऑफिसियल डिवाइस को अलग-अलग रखें. यानि पेमेंट के लिए आप अपने पर्सनल डिवाइस का इस्तेमाल करें।
लोग ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार क्यों होते है
ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में लोग ऑनलाइन फ्रॉड में फंसते चले जाते है। जब तक उन्हें ठगी का एहसास होता है तब तक उनके साथ फ्रॉड हो चुका होता है। ऐसे में सायबर फ्रॉड के बारे में आपका जागरूक रहना बहुत जरूरी है. आजकल ब्लाग, न्यूजलेटर और सायबर एक्सपर्ट से जानकारी लेकर अवेयरनेस बढ़ा सकते है।
शेयर मार्केट में ऑनलाइन फ्रॉड
जब कोई जालसाज आपको भी शेयर मार्केट से जुड़े फ्रॉड के मैसेज भेजे, तो आप उसकी पहचान कर सकते हैं. इसके लिए आपको फ्रॉड के तौर तरीके को समझना होगा। इन तरीकों को अपनाकर आप फ्रॉड से बच सकते है।
आमतौर पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है। इन शेयर बाजार वाले घोटालों को अक्सर पिग बुचरिंग फ्रॉड करार दिया जाता है, जहां धोखेबाज भारी रिटर्न के वादे के साथ संभावित लक्ष्यों के जरिए लोगों को लुभाते हैं, लेकिन अंततः उनका पैसा ले लेते हैं और फिर गायब हो जाते हैं।
घोटालेबाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं, जिनमें नकली वेबसाइट बनाना, नकली स्टॉक निवेश ऐप विकसित करने से लेकर संदिग्ध व्हाट्सएप ग्रुप बनाना शामिल है। यहां अलग-अलग सदस्य खुशी मनाते हैं कि स्कीम कितनी अच्छी है। अक्सर धोखेबाज नकली विज्ञापन बनाते हैं जो किसी प्रतिष्ठित बाजार विश्लेषक से जुड़े होने का दावा करते हैं या खुद को प्रतिष्ठित फर्मों के प्रतिनिधि के रूप में पेश करते हैं।
सबसे पहले, वे विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से अपने लक्ष्य का विश्वास हासिल करने की कोशिश करते हैं. मुफ्त में स्टॉक के बारे में बताना, स्टॉक के मूवमेंट के बारे में जानकारी देने जैसे काम करते हैं. इसी तरह वो अलग- अलग लोगों की सफलता की कहानी को बताकर लोगों को निवेश करने के लिए कहते हैं।
सबसे पहले आपको अपने दिमाग में यह बात रखनी चाहिए कि शेयर मार्केट से कुछ ही दिन या हफ्ते में पैसा दोगुना या तिगुना होना वास्तविक नहीं है।स्टॉक मार्केट फ्रॉड से खुद को बचाने का सबसे बुनियादी तरीका यह है कि अपने मन से लालच को दूर रखें। अगर कोई मानता है कि शेयर बाजार जुआ खेलने की जगह है और उम्मीद करता है एक दिन या कुछ हफ्तो में उनका पैसा दोगुना या तिगुना हो जाएगा, तो उसे कोई नियम कानून भी नहीं बचा पाएगा। शेयर मार्केट से जुड़े फ्रॉड से बचने के लिए पैसे इन्वेस्टमेंट करने से पहले सेबी रजिस्टर्ड लोगो से राय जरूर लेना चाहिए.
क्या है सेबी (SEBI – Securities and Exchange Board of India)
प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना, प्रतिभूति बाजार (सिक्यूरिटीज़ मार्केट) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित (रेग्यूलेट) करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना ।
सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार क्या है?
सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार का अर्थ है ग्राहकों को वित्तीय सलाहकार सेवाएँ प्रदान करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ अधिकृत और पंजीकृत पेशेवर। सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार को सेबी द्वारा निर्धारित आचार संहिता, प्रकटीकरण मानदंडों और न्यूनतम योग्यता और अनुभव आवश्यकताओं का पालन करना चाहिए।
सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार का प्राथमिक उद्देश्य ग्राहकों को उनके वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम प्रोफाइल और निवेश प्राथमिकताओं के आधार पर निष्पक्ष और व्यक्तिगत निवेश सलाह प्रदान करना है। निवेशक सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार से भरोसेमंद और पारदर्शी सलाह प्राप्त कर सकते हैं।