डॉ.सचिन पापड़ीकर की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही महिला शारीरिक औऱ आर्थिक दोनों समस्याओ से जूझ रहीं है
बीजापुर। सुन्न करनें वाला इंजेक्शन (लिडोकेन ) से महिला की हालत बिगड़ी, जिसके रिएक्शन से पेट का मास गलनें लगा है, इस गलती को छुपानें पहले सीएमएचओ नें परिजनों को प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाने औऱ बिल का भुगतान कराने का झांसा दिया अब बिल देखकर भुगतान करने से इंकार कर रहे है। इससे अंदाजा लगाया सकता है किस प्रकार जिला एवं मातृत्व शिशु अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
जिला अस्पताल या मातृत्व शिशु अस्पताल में प्रसव उपरांत नसबन्दी कराना चाहते है तो सावधान हो जाएँ क्योकि की यहाँ के डॉक्टरों का भी कहना है की अस्पताल में उच्च स्तरीय ऑपरेशन करने वाले उपकरण उपलब्ध नहीं है औऱ न ही एक्सपर्ट डॉक्टर है, जो मौजूद है वो डॉक्टर नव सीखिया हैं जिन्हे अभी किसी मेडिकल कॉलेज में प्रेक्टिस की औऱ अधिक जरूरत है। जो मोटा सैलरी पैकेज के लालच में बीजापुर जिला अस्पताल में नियुक्त तो हो गये है मगर मरीजों को संबंधित बीमारियों का दवाई लिखने गूगल का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसका नतीजा मरीज को भुगतना पड़ता है।
मातृत्व शिशु अस्पताल (उत्सव) में पदस्थ डॉक्टर सचिन पापड़ीकर की लापरवाहियों का खामियांजा शारीरिक एवं आर्थिक रूप से एक महिला को झेलना पड़ रहा है इस डॉक्टर के द्वारा नसबंदी ऑपरेशन किए जाने के बाद,ऑपरेशन हुई जगह से लगातार खून का बहाव जारी था, किंतु समस्या अब और बढ़ गई है महिला के पेट का मांस गलने लगा है। महिला के साथ हो रही इस विडंबना को देखते हुए, परिजनों ने बीजापुर स्वास्थ्य विभाग मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.बुधराम पुजारी को सारी समस्याओं से अवगत कराया, वहीं सिविल सर्जन डॉ.रत्ना राम टेके भी लापरवाह डॉक्टर की लापरवाही से अनभिज्ञ नहीं है, डॉ सचिन पापड़ीकर की गलतियों पर पर्दा डालने, परिजनों को उपचार का सारा खर्चा देने का श्री पुजारी ने आश्वासन दिया था, इसके बाद पीड़ित महिला के परिजनों ने भद्राचलम के एक निजी अस्पताल में उपचार जारी, निजी अस्पताल से मिले बिल को लेकर जब पीड़ित महिला का पति सीएमओ के समक्ष पेश किया तो, बिल की राशि को देखकर उनके सुर ही बदल गए, जिन्होंने साफ लफ्ज़ो में बिल का भुगतान करने से इंकार कर दिया है, जिन्होंने वर्तमान में उपचार करने वाले निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर को डिफाल्टर तक कह डाला।
___________________________________________
नसबंदी करने से पहले डॉक्टर पेट और पेल्विक हिस्से की जांच करते हैं कि कहीं महिला को पीसीओडी जैसी कोई समस्या तो नहीं है। इसका इलाज होने तक सर्जरी को रोका जा सकता है। ट्यूबेक्टोमी में नाभि के आसपास एक छोटा कट लगाया जाता है और फिर एक पतली सी स्टिक पर लगे कैमरे को एक कट से अंदर डाला जाता है। इस उपकरण को लैप्रोस्कोप कहते हैं।इस स्टिक पर लगे कैमरे से डॉक्टर को फैलोपियन ट्यूबदेखने में मदद मिलती है। डॉक्टर फैलोपियन ट्यूबको आधा काटकर उसे दोनों सिरों से एकसाथ बांध सकते हैं। क्लिप के जरिए भी फैलोपियन ट्यूबको एक साथ बांधकर ब्लॉक किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में हो सकता है कि डॉक्टर पूरी फैलोपियन ट्यूब को ही निकाल दें।
___________________________________________
उत्सव में पदस्थ डॉ.सचिन पापडीकर मातृत्व शिशु अस्पताल को अस्पताल नहीं बल्कि बल्कि अपनी मिकीयत समझ रहा है जिसे सिलरी के रूप में लाखों रुपय मिलता ही है औऱ आयुष्मान कार्ड पर महिला मरीज का इलाज करने का हर साल प्रोत्साहन राशि अलग मिलाता है इसके अलावा यह मरीजों को अपना नाम बताकर जगदपुर के निजी लैब में सोनोग्राफी, सिटी स्केन करानें, निजी मेडिकल स्टोर्स का पता बताकर दवाईयाँ लेने भेज अपनें कमीशन के कमाई का अलग जरिया बना रखा है।