राहुल गांधी से देवेन्द्र यादव का मिलना, प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कौतूहल का विषय
बिलासपुर / रायपुर। जेल से छूटकर सीधे दिल्ली पहुंच कर राहुल गांधी से देवेन्द्र यादव का मिलना, प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कौतूहल का विषय बना हुआ शक की सुई बार-बार टिक टिक करते हुए केवल एक ही सवाल जहन से पूछ रही है क्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अगला चीफ देवेंद्र यादव होंगे ? वर्तमान में नगरी निकाय,नगर निगम और पंचायत चुनाव में जो देखने को मिले हैं वह कांग्रेस को धरातल में ले जाने वाला परिणाम है। इन परिणामो के मद्दे नज़र दीपक बैज की पीसीसी चीफ की कुर्सी छीन जाने का खतरा बना हुआ है।
बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में हुए अग्निकांड के मामले में 6 महीना से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल के बाहर उनके समर्थकों की जिस कदर भीड़ देखी गई, उनसे मिलने और उनकी एक झलक पाने के लिए पब्लिक आतुर थी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर की तस्वीर हाँथ में लेकर भीड़ को उनके द्वारा संबोधन किया जाना प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। भिलाई में स्वागत के जो नगाड़े बजे उसकी गूंज प्रदेश के कोने कोने तक पहुँची,उनके निवास स्थान पर मिलने वालों का तांता उनकी लोक प्रियता का अहसास दिला रहा है।
दुर्ग-भिलाई में छात्र नेता से महापौर देवेंद्र यादव ने पूर्व विधानसभा प्रेम प्रकाश पांडेय को दो बार मात देकर अपने जीत का परचम बुलंद किया, कांग्रेस पार्टी का युवा नेता होने के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक मसलों में बेबाक अंदाजी के साथ अपना पक्ष रखना ही युवाओं के बीच देवेंद्र यादव की शाख को मजबूत बनाता है। बलौदा बाजार कांड में उन्होंने अजा की एक बड़ी आबादी को प्रभावित किया है। सबसे बड़ी बात यह है जेल से इनकी रिहाई के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के धुरंधर नेता किनारे ही रहे लेकिन दिलचस्प यह है श्री यादव छूटते ही दिल्ली पहुंच राहुल गांधी से मुलाक़ात की औऱ श्रीमती सोनिया गांधी के स्वास्थ्य का हाल जाना। राहुल गांधी से सीधे मुलाक़ात करना इस ओर इशारा कर रहा है कहीं प्रदेश का अगला नया पीसीसी चीफ का ताज़ देवेंद्र यादव के सर तो नहीं सजेगा ? क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की हालत जिस प्रकार नाजुक बनी हुई है और सत्तारूढ़ दल के खिलाफ पूरे प्रदेश में माहौल तैयार करने के सारे गुण देवेंद्र यादव में बखूबी है। यह कहना इसलिए लाजमी है पूर्ण बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार नहीं बचा पाई। कांग्रेस के लिए यह डगर औऱ कठिन हो गई जब वर्तमान में हुए नगरीय निकाय, नगर निगम एवं पंचायत चुनाव के परिणाम सोच से भी अधिक विपरीत आये यानी प्रदेश में कांग्रेस अपनी जड़ों को कमजोर कर बैठी है।
कांग्रेस हाई कमान नें प्रदेश में विधानसभा के पूर्व बड़ा उलट फेर करते हुए मोहन मरकाम को हटाकर दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया, जिनके अध्यक्ष बनते ही प्रदेश में पार्टी की दशा बिगड़ने लगी औऱ इतनी बिगड़ी कि पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस के नेता पार्टी की शाख नहीं बचा पाये। ऐसा लगा वे भाजपा की रणनीति के आगे समर्पित हो चुके है। रही बात पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिँह देव की तो उन्होंने यह मंशा जाहिर कर दिया है कि अगर पार्टी हाई कमान उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देता है तो उसे सम्मान पूर्वक स्वीकार कर अपनी दायित्व को निभाएंगे और वह दायित्व क्या है यह हर कोई भली भांति जानता है । यह भी जानना जरूरी है कि उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान टी एस सिँहदेव सरगुजा संभाग तथा पीसीसी चीफ दीपक बैज बस्तर संभाग से कोंटा विधानसभा सभा को छोड़कर एक भी सीट नहीं बचा पाए यहाँ तक की खुद भी सीट गवांकर बैठ गये।
यदि देवेंद्र यादव को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बाग डोर मिलती है तो जिस धरातल में कांग्रेस चले गई है उसे सम्मानजनक स्थिति में लाने का काम बखूबी निभा सकते है, युवाओं में इनकी मजबूत पकड़ औऱ राजनीति की तासीर को वे बखूबी जान चुके है। यही वजह है बीजेपी के लिए देवेंद्र यादव दिन ब दिन किसी चुनौती से कम नहीं है जिन्होंने बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनाव में डटकर मुकाबला किया था जिसमें इनकी हार जरूर हुई थी, समझा जाये तो लोरमी, मुगेली, तखतपुर विधानसभा से इन्हे अच्छी लीड मिली यानी वोट प्रतिशत का आंकड़ा इनके बेहतर परिणामो में रहा। उनके जेल में रहने के दौरान प्रदेश में नगरीय निकायों के बाद पंचायत चुनाव भी करा लिए गए । इन दोनों चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं की स्थिति मूक दर्शक जैसी रही। आज के राजनैतिक हालात कुछ इस तरह है कि कांग्रेस को अब प्रदेश में जुझारू और युवा नेतृत्व की जरूरत है जो आगामी चार साल तक बिना रुके ,बिना थके,बिना किसी गुटीय भेदभाव के पार्टी के लिए समर्पित होकर दिन रात काम कर सके साथ ही गुटीय राजनीति कर पार्टी को रसातल तक पहुंचाने में सक्रिय लोगों, जिले पदाधिकारियों को रास्ते में लाने का काम भी कर सके।ऐसा व्यक्तित्व देवेंद्र यादव में दिखता है।
इतना तो तय है कि प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव अपरिहार्य हो गया है । दीपक बैज के हाथों कांग्रेस की कमान संभल नहीं पा रही । उनकी उदासीनता से जिला स्तर के पदाधिकारी स्वयंभू बन बैठे है और मनमाने निर्णय ले रहे है जिसके चलते कांग्रेस में इस्तीफे का भी दौर चल रहा है। बहरहाल कांग्रेस हाईकमान प्रदेश संगठन में कब तक बदलाव करते है यह देखना है। हां जिस भी शख्स को यह जिम्मेदारी मिलती है उससे जमीनी स्तर के कार्यकर्ता यही उम्मीद करेंगे कि वह निर्विवाद हो और सभी गुटों को साथ लेकर चले। यह इसलिए भी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में चले गए है हालांकि उन्होंने स्पष्ट भी कर दिया है कि वे छत्तीसगढ़ नहीं छोड़ रहे फिर भी उनके हजारों समर्थकों के साथ किसी तरह का भेदभाव न हो और उन्हें पर्याप्त सम्मान और जिम्मेदारी भी मिले।