भवन के कर्मचारी पैग बनाते थे और किचन से उनके लिए चखना
बिलासपुर । शासकीय विश्रामगृह छत्तीसगढ़ भवन में कर्मचारियों के साथ जाम छलकाने वाले तत्व दुबक गए है वहीं धुर और जाम छलकाने वाले चर्चित कर्मचारियों की वर्षों पुरानी दुकानदारी खत्म हो गई है. छत्तीसगढ़ भवन को लोग साधारण बोलचाल की भाषा में.वर्षों से सरकारी अहाता तक कहा जाने लगा था. दर-असल वर्षो से यहां पदस्थ चतुर्थ श्रेणी के कई कर्मचारी छत्तीसगढ़ भवन को बपौती मान कर मनमानी करते चले आ रहे है. सामान्य व्यक्तियों को छत्तीसगढ़ भवन का कोई भी कमरा प्रोटोकॉल के आदेश के बिना नहीं मिल सकता यह नियम भी है लेकिन दारू खोर लोगों के लिए कोई नियम नहीं रहता था, उनके लिए प्रोटोकॉल अधिकारी की जानकारी और अनुमति बगैर ही दारू पीने वालों के लिए भवन के कमरे खुल जाते थे जिसमे भवन के कर्मचारी पैग बनाते थे और किचन से उनके लिए चखना तक की व्यवस्था हो जाती थी. भवन के कर्मचारियों का इतना जलवा रहता था कि मंत्रियों के पीएसओ जिन कमरे में रहते है, उन कमरों में भी पीएसओ के अनुपस्थिति में जाम छलकाया जाता था पीएसओ लोगों को अपने कमरे में दारू खोरी होने की भनक तक नहीं लगती थी क्योंकि वे रात मे लौटते है, भवन के कमरों में दारू खोरी करवा कई कर्मचारियों ने अच्छी खासी कमाई कर डाली है. कुछेक कर्मचारियों की पोस्टिंग तो दूसरे स्थान में है लेकिन विभाग के अधिकारियों को खुश करके वर्षो से छत्तीसगढ़ भवन में पदस्थ है और उनका रुतबा भी किसी अधिकारी से कम नहीं है. पिछले माह भवन के गार्डन में कुछ लोगों को शराब पीते पकड़ा गया था लेकिन छत्तीसगढ़ भवन को स्थायी शराब अड्डा बनाने वाले लोग और भवन के कर्मचारी चतुराई पूर्वक बच निकले भवन में एक और अधिकारी है जिनकी कोई नहीं सुनता. इस अधिकारी ने दो दफ्तर बना रखे है. छत्तीसगढ़ भवन में रात 8 बजे तक ये क्या करते है यही जाने. इनके खिलाफ सरकार तक कुछ नहीं कर पाई. चुनाव आयोग का आदेश इनके उपर लागू नहीं होता. पिछले 15 साल से ये महोदय तमाम शिकायतों के बाद भी बिलासपुर जिले मे ही पदस्थ हैँ. इनसे तो सारे ठेकेदार सुविधा शुल्क के नाम से त्रस्त है.
गौरतलब हैं की नेहरू चौक के पास स्थित छत्तीसगढ़ भवन में रोजाना राज्य शासन के केबिनेट मंत्री विधायक , सांसदों का ठहराव होता हैं जिनसे सामजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया के पत्रकार छत्तीसगढ़ भवन के बरामदे या फिर डायनिंग हॉल में बैठकर इंतजार करते थे लेकिन पत्रकारों का यूँ बैठना छत्तीसगढ़ भवन के इंचार्ज एसडीओ, कर्मचारियों को रास नहीं नहीं आया, क्योंकि इनके धत कर्मों से धीरे-धीरे पर्दा उठना शुरू हो गया था जो शाम के ढलते ढलते अपना मैखाना सजाना चालू कर देते थे। इनकी महफिल अक्सर भवन के कमरा नंबर 5,7औऱ 9 में जमती थी जहां बैठकर जाम छलकते थे जिसमें प्रमुख रूप से दोनों शिफ्ट में काम करने वाले केयर टेकरों का महत्वपूर्ण योगदान रहता था। यही कर्मचारी शराब औऱ चखने का इंतजाम करते थे। शराबखोरी की शिकायत मिलने के बाद एसपी ने छापा मार कार्रवाई कर गार्डन में बैठें कुछ लोगों को गिरफ्तार कर चेतावनी देकर छोड़ दिया। लेकिन पुलिस उन लोगों तक नहीं पहुँच पाई जो बंद कमरे में रोजाना दारू पार्टी की महफिले सजाते रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई का असर उल्टा हो गया औऱ छत्तीसगढ़ भवन के गेट एवं डायनिंग हाल में ताला लगा दिया जो केवल किसी वीआईपी के आने या किसी ख़ास व्यक्ति के आने पर ही खोला जाता हैं एसपी की कार्रवाई की खबर प्रतिष्ठित अख़बारो में छपने के बाद भवन में पत्रकारों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया. न्यूज कव्हर करने गये हुए पत्रकारों से कर्मचारी एसडीएम की अनुमति लेकर आने का हवाला देते है। हालांकि प्रोटोकॉल अधिकारी ( एसडीएम ) का किसी प्रकार का लिखित आदेश भवन में चस्पा नहींहै। छत्तीसगढ़ भवन में ताला लगाये जाने के बाद महफिल सजाने वालों का रात मे जुड़ाव तो होता ही होगा इसकी सच्चाई एक बार फिर औचक निरिक्षण से स्पष्ट हो सकेगा।
Tue Jan 14 , 2025
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